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ठंडी हवाएं लेखनी काव्य प्रतियोगिता -22-Jan-2022

शीतल मन्द मौसम में
बहार फिर से है आई
बहे ठंडी हवा मद्धम
बाहर धुंध है छाई

रजाई में पड़े दुबके
ठिठुरन भी अभी छाई
बिस्तर से नहीं उतरे
प्याली चाय की आई

ठंडक से भरी सर्दी
में आलम हैं बड़े दुष्कर
बर्फ़ से भरे जग से
जानम है नहा आई

गीले गेशुओं में बर्फ 
की बूंदें जरा देखो
मद्धम-सी हंसी लेकर
खूबसूरत बला आई

अभी हम सोच में उलझे
कैसी है ये तरुणाई
छोड़ आंगन के आंचल को
चली आगोश में आई

ये औरत है नहीं खाली 
ये मेरी जीवन धारा है
इसी एहसास से खाली
जीवन में हंसी आई।

संदीप कुमार मेहरोत्रा *शान*
बहराइच उत्तर प्रदेश


प्रत

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18 Comments

Punam verma

23-Jan-2022 09:27 AM

Nice

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Sandeep Kumar Mehrotra

03-Feb-2022 05:43 PM

जी धन्यवाद

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Shrishti pandey

23-Jan-2022 09:10 AM

Nice

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Sandeep Kumar Mehrotra

03-Feb-2022 05:44 PM

जी धन्यवाद

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Sudhanshu pabdey

23-Jan-2022 09:08 AM

Very beautiful 👌

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Sandeep Kumar Mehrotra

03-Feb-2022 05:44 PM

जी धन्यवाद

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